लोकप्रिय पोस्ट

सोमवार, नवंबर 23, 2015

कैसी चले रहे हो तुम चाल साहब



कैसी चले रहे हो तुम चाल साहब 
कर रहे हो इंसां को हलाल साहब 

चूस कर के खून इन गरीबों का 
हो रहे हो और मालामाल साहब 

ये सियासत कलम से अच्छी नहीं 
शायरी कर ना दे कोई बवाल साहब 

तुम फरेबी हो दगाबाज हो झूठे हो 
दिल में रखने का है मलाल साहब 

"राज" शायर है, फ़कीर है, पागल है
झूठ कहके ना करेगा कमाल साहब 

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

    जवाब देंहटाएं
  2. कलम से सियासत लिखना अच्छा नहीं....
    सही और सटीक शब्दों की अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!!
    सुन्दर ,सटीक, और सार्थक अभिव्यक्ति..।

    जवाब देंहटाएं

Plz give your response....