लिखना है अब मुझे अपना हाल ग़ज़ल में
होता है, तो होता रहे फिर बवाल ग़ज़ल में
ना तो हुस्न की बातें, ना ज़माल ग़ज़ल में
करना है बस खुद को ही मिसाल ग़ज़ल में
तुम्हे तो लगते हैं, महज़ अल्फाज़ चंद ये
और हमने रखा है दिल निकाल ग़ज़ल में
ज़ज्ब कहते हैं बयां हमको ठीक से करना
बहर कहती है मुझको भी संभाल ग़ज़ल में
गिनवा देते हैं नुक्स यहाँ उस्ताद बहुत से
पर कहते नहीं कर दिया कमाल ग़ज़ल में
मौसम के मिज़ाज़ों का होता है जिक्र भी
औ करते हैं बहारों की देखभाल ग़ज़ल में
समझेगा कौन यहाँ जो लिखा है ये "राज़"
के करते रहिये बस यही सवाल ग़ज़ल में
बहुत ही बढ़िया गजल है
जवाब देंहटाएंहर शेर बढ़िया है..
आभार आपका.....
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