कभी जियादा कभी कम में उलझे रहे
हम बस जिन्दगी के गम में उलझे रहे
दौरे--बहाराँ में भी नसीब सुकूँ ना हुआ
जो उनकी याद के मौसम में उलझे रहे
बस तकरार का सिलसिला चलता रहा
के हम उनमे और वो हम में उलझे रहे
टूट कर इक आईने सी बिखर गयी रात
मेरे ख्वाब तो अश्क-पैहम में उलझे रहे
जो तालीम लेकर के ग़ज़लख्वाँ बने थे
उम्र भर बहर के पेचो ख़म में उलझे रहे
होली की शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएं- बहूत बढीया गजल है...
जवाब देंहटाएंहोली पर्व कि शुभ कामनाये
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दोस्तों.. अपना कीमती वक़्त देने के लिए
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