जीत की बातें हैं, ना हैं हार की बातें
इश्क में हैं तो दर्द बेशुमार की बातें
वो मौसमों के हसीं निखार की बातें
रह गयीं हैं अब कहाँ बहार की बातें
वीराने घर के और ये दीवार-ओ-दर
आज भी करते हैं इंतज़ार की बातें
अपना बना के जबसे छोड़ गया वो
लगती हैं बेजा सी ऐतबार की बातें
शाम तन्हाई जो उसकी याद चले है
आँखें करती हैं फिर फुहार की बातें
ख्यालों की वादी का 'राज़' ग़ज़ल में
चनाब की बातें कुछ चनार की बातें
जीत की बातें हैं, ना हैं हार की बातें
जवाब देंहटाएंइश्क में हैं तो दर्द बेशुमार की बातें
शाम तन्हाई जो उसकी याद चले है
आँखें करती हैं फिर फुहार की बातें ...सुन्दर .
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-729:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत खूबसूरत भावो का ज़खीरा।
जवाब देंहटाएंवाह! शानदार ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
शुक्रिया आप सभी का .....
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