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मंगलवार, नवंबर 29, 2011

बस बे-सबब यूँ ही फिरा करना




बस बे-सबब यूँ ही फिरा करना 
हमे भी नहीं है पता क्या करना 

हवा तेज़ है कुछ तूफ़ान भी है 
चरागों की हक में दुआ करना 

हमसे ना सही औरों से ही सही
पर यूँ किसी से तो वफ़ा करना 

देना नाम उसे ग़ज़ल का मगर 
लफ़्ज़ों में उसको लिखा करना 

दर्द समझोगे तब ही तुम मेरा 
मेरे जैसे कभी तो हुआ करना 

बस अपनों में शुमार कर लेते 
कब कहा बन्दे को खुदा करना 

घुटन भरी है जिन्दगी अपनी 
कुछ इधर बाद-ए-सबा करना 

तहरीर-ए-लब से हंसी लिखना 
अश्क आँखों से ना जुदा करना 

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