लोकप्रिय पोस्ट

मंगलवार, सितंबर 20, 2011

रहे हम बस फकीर के फकीर देखिये



इश्क में रांझे की ये तकदीर देखिये 
मिली नहीं कभी उसको हीर देखिये 

शबे-रुखसत को आसमाँ भी बरसा 
किस किस को हुई थी, पीर देखिये 

ग़ज़ल फिर बेहद खूबसूरत सी लगे 
उसके जिक्र से बनी तहरीर देखिये 

उम्रभर दुआ में बस उसे माँगा किये 
रहे हम बस फकीर के फकीर देखिये 

बात जज्बों से पागलपन तक जाए 
आईने में जो उसकी तस्वीर देखिये 

मुहब्बत की असीरी भी अच्छी लगे 
लगे अच्छी जुल्फ की जंजीर देखिये 

वफ़ा के जज्बे पे कुर्बान जाइए "राज़" 
कहते हैं यही ग़ालिब-ओ-मीर देखिये

2 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद भावपूर्ण रचना |शब्द चयन भी बहुत सुन्दर |
    बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

    जवाब देंहटाएं

Plz give your response....