जिंदगी की राह में कई इम्तेहान भी आयेंगे
उसे पा लेने और खोने के गुमान भी आयेंगे
इस मरासिम पे ज़माने को भी ऐतराज़ रहा
कुछ लोग उसके--मेरे दरमियान भी आयेंगे
ज़र्रा ज़र्रा ज़मीं का जब करेगा रक्स यूँ ही
देखने को दूर कहीं से आसमान भी आयेंगे
इश्क की राह आसान समझ ना मुसाफिर
बहारें भी मिलेंगी तो बियाबान भी आयेंगे
संजीदगी शहर में बढ़ जायेगी जिस रोज
देखना फिर कुछ लोग परेशान भी आयेंगे
लफ्ज़ हमारे होंगे और लहजा उसका होगा
अबके ग़ज़ल में तो ऐसे सामान भी आयेंगे
पहले दो शेर बहुत खूबसूरत हैं...बधाई
जवाब देंहटाएं