ऐसा नहीं के बहुत कुछ नहीं बदला तेरे बिना
पर हयात का कारवां गुजर तो रहा तेरे बिना
सुकूँ होता है दिन में, नींद भी आती है रात को
कट जाती है जिन्दगी कतरा-कतरा तेरे बिना
अब्र याद का आये भी मगर बरसात नहीं होती
खामोश ही रहता है आँखों का दरिया तेरे बिना
और अब ख्यालों में इंतज़ार की शाम नहीं है
वक़्त गुजरा वो भी, ये भी गुजरेगा तेरे बिना
रस्मे-उल्फत निभाई पर तुझे पा ना सके हम
इश्क से रहेगा उमर भर ये शिकवा तेरे बिना
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