देखिये जिसको भी वो रुसवा दिखाई देता है
हाँ मुझे हर शख्स अब तन्हा दिखाई देता है
खुबसूरत अब कभी मौसम नहीं होते कहीं
हद तलक नज़रों में बस सहरा दिखाई देता है
अब्र की वहशत में वो चाँद जबसे आ गया
आसमाँ तबसे बड़ा ये गहरा दिखाई देता है
नासमझ हूँ मैं यहाँ कैसे यकीं कर लूँ कहो
हर नए चेहरे पे इक चेहरा दिखाई देता है
हिज्र में यूँ ही कहीं जो याद उसकी चल पड़े
खुश्क आँखों में मेरी दरिया दिखाई देता है
लुट चला है 'राज़' वो तो इश्क के ही नाम पे
लोग कहते हैं उसे के पगला दिखाई देता है
इश्क में लुटे पगला ही कहलाते हैं ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल !
बहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंअपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
जवाब देंहटाएंwaah, bahut hi badhiyaa
जवाब देंहटाएंवाणी जी........शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसंगीता जी.......शुक्रिया
संजय भाई.......शुक्रिया
रश्मि जी........शुक्रिया