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रविवार, अप्रैल 17, 2011

हर शख्स अब तन्हा दिखाई देता है



देखिये जिसको भी वो रुसवा दिखाई देता है 
हाँ मुझे हर शख्स अब तन्हा दिखाई देता है 

खुबसूरत अब कभी मौसम नहीं होते कहीं 
हद तलक नज़रों में बस सहरा दिखाई देता है 

अब्र की वहशत में वो चाँद जबसे आ गया 
आसमाँ तबसे बड़ा ये गहरा दिखाई देता है 

नासमझ हूँ मैं यहाँ कैसे यकीं कर लूँ कहो
हर नए चेहरे पे इक चेहरा दिखाई देता है  

हिज्र में यूँ ही कहीं जो याद उसकी चल पड़े 
खुश्क आँखों में मेरी दरिया दिखाई देता है 

लुट चला है 'राज़' वो तो इश्क के ही नाम पे 
लोग कहते हैं उसे के पगला दिखाई देता है 

5 टिप्‍पणियां:

  1. इश्क में लुटे पगला ही कहलाते हैं ...
    खूबसूरत ग़ज़ल !

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  2. अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

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  3. वाणी जी........शुक्रिया

    संगीता जी.......शुक्रिया

    संजय भाई.......शुक्रिया

    रश्मि जी........शुक्रिया

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