बहार-ओ-खुशबू का सफ़र याद आया
आज वो मुझे जब ता-सहर याद आया
भूल जाने की कसम यूँ खाई तो थी मैंने
पर वादे से अपने गया मुकर याद आया
बाद मेरे वो किसपे रौब दिखाते अपना
वो थे आंधी तो था मैं शजर याद आया
के जब मिलीं सहरा की उजड़ी बस्तियां
सच है यारों फिर अपना घर याद आया
पुकार के हर सदा जब नाकाम लौटी थी
माँ की दुआ में था जो असर याद आया
हुए खान्मा-खराब "राज़" जहाँ में जब
वो गली याद आई वो शहर याद आया
bahut khub
जवाब देंहटाएंsunder gajal
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