वो हर इक लम्हा तो जैसे साल गुजरे
जेहनो-दिल से जब तेरा ख्याल गुजरे
तेरी यादों में जो कभी शाम हुआ करे
फिर आँखों से रात भर शलाल गुजरे
आईने में भी अपनी सूरत दिखी नहीं
मेरे साथ ऐसे भी बहुत कमाल गुजरे
मैं चराग हूँ पर हार मानूंगा नहीं यूँ ही
कह दो इस हवा से अपनी चाल गुजरे
उसके बाद तो किसी पे नज़रें नहीं रुकीं
वैसे नज़र से कई हूर-ओ-जमाल गुजरे
हर बार क्यूँ मैं ही उसको मनाने जाऊं
मैं रहूँ खामोश तो उसको मलाल गुजरे
दर्द के सफ़र में कब होगी नसीब मंजिल
''राज़'' के दिल में बस यही सवाल गुजरे
'उसके बाद तो किसी पे नज़रें नहीं रुकीं
जवाब देंहटाएंवैसे नज़र से कई हूर-ओ-जमाल गुजरे '
उम्दा शेर !
"जो सोचता हूँ मुझे उन ख़यालात में रहने दो" यह चंद शब्द लेखक के व्यक्तित्व का आइना प्रतीत होते हैं.. बहुत ही गहरी सोच.. .
जवाब देंहटाएंमै चराग हूँ पर हार मानूंगा नहीं
कह दो इस हवा से अपनी चाल गुजरे
बहुत खूब... कुछ ऐसे ही भाव कभी मेरे ख्यालों को भी छू कर गुजरे थे ... "हवाओं ने जो ठानी चराग़ों को बुझा देंगे, तो हमने भी कसम ली है ये लौ महफूज़ रखेंगे."..
मंजु
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार 29.01.2011 को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंआपका नया चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
मैं रहूँ खामोश तो उनको मलाल गुज़रे .....वाह ! बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंवाह...वाह...वाह...
जवाब देंहटाएंसभी शेर एक से बढ़कर एक...
बहुत ही सुन्दर रचना...आनंद आ गया पढ़कर..
आभार.
बहुत खूबसूरत गज़ल...हरेक शेर बहुत उम्दा..
जवाब देंहटाएंसुरेंदर भाई साब.....शुक्रिया...आमद हौसला अफजाई के लिए बहुत है...
जवाब देंहटाएंमंजू जी....बहुत खूब...आभार यहाँ तक आने के लिए....शुक्रगुजार हूँ
सत्यम जी.....आभार..रचना को शामिल करने के लिए...
ZEAL जी... शुक्रिया
रंजना जी.....शुक्रिया.. पसंद करने के लिए...
कैलाश भाई साब.... बस यूँ ही हौसला देते रहिये.
आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं......आभार सहित...