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मंगलवार, जनवरी 04, 2011

जिंदगी फिर जिंदगी सी रहा करे


गम में भी जो ख़ुशी सी रहा करे 
जिंदगी फिर जिंदगी सी रहा करे 

यूँ तो रात-दिन तेरी याद साथ रहे 
पर दिल को कुछ कमी सी रहा करे 

जब भी मेरी आँखें बरसा करें यहाँ 
तीरगी में भी रौशनी सी रहा करे 

तेरे बगैर आलम सेहरा सा लगे है 
जाने कैसी ये तिश्नगी सी रहा करे 

ख्याल बन कर जेहन में तो उतरे 
पर मिले तो अजनबी सी रहा करे 

छूके जो तेरा आँचल चले वो कभी 
हवा फिर तो ये संदली सी रहा करे 

साजों पे जो तेरा नाम लिख दूँ मैं 
तो खुबसूरत मौशिकी सी रहा करे 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी04 जनवरी, 2011

    बहुत ही सार्थक कामना की है आपने इस गजल में!

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  2. आप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं

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  3. bahut bahut khoobsurat gazal bhai...har sher kabile daad hai lekin matla to bas qyamat hua hai..

    जवाब देंहटाएं
  4. मयंक जी...
    संजय भाई....
    अखिल भाई...
    शुक्रिया आप सभी का..

    जवाब देंहटाएं

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