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शुक्रवार, नवंबर 19, 2010

जो दीवाना है वो तो बस दीवाना रहता है


उनके होठों पे फिर इक नया बहाना रहता है 
जब भी किये वादे पे उन्हें ना आना रहता है  

और हम नहीं के उनपे तोहमते लगाया करें 
हमे तो हर लम्हा इंतज़ार में बिताना रहता है 

नाम कुछ भी रख लो, रांझा, मजनू या महिवाल 
जो दीवाना है वो तो बस दीवाना रहता है 

हिज्र में ये आँखें बरसती हैं रात-रात भर 
जेहन में यादों के अब्र का आना-जाना रहता है 

उनके दीद को नज़रें राहों पे लगी रहती हैं 
ख्यालों के साज़ पे बस उनका ही तराना रहता है 

अपनी तन्हाई की बज़्म रास बहुत आती है 'राज़' 
यहाँ का दर्द-ओ-अलम बहुत पहचाना रहता है 

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ...

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  2. उनके होठों पे फिर इक नया बहाना रहता है
    जब भी किये वादे पे उन्हें ना आना रहता है

    और हम नहीं के उनपे तोहमते लगाया करें
    हमे तो हर लम्हा इंतज़ार में बिताना रहता है

    वाह वाह! क्या खूब कहा है…………बहुत सुन्दर अन्दाज़्।

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  3. भावनाओ से जुड़े पहलू रचना बेहद सुन्दर है …. उम्दा … शुभकामनाएं

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  4. आप सभी ने जो हौसला दिया है उसके लिए दिल से आभार....

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