वो तस्सवुर में हमारे जो आये होंगे
हम बेसबब ही फिर मुस्कराये होंगे
हवाओं में कैसी खुशबू की लहर उठी
शायद उसके गेसू कहीं लहराये होंगे
पायलों के साज़, चूड़ियों के तरन्नुम
सबने बज़्म में नगमे, मेरे गाये होंगे
अंगडाईयों के वो खुशनुमा तबस्सुम
शब्-ए-आलम पे नई सहर लाये होंगे
बर्क-जदा रहती है शोख नजर उनकी
जिधर डाली होगी शोले भड़काये होंगे
कोहसारों से क्या ये रिसा है आब सा
छू के उसने शायद संग पिघलाये होंगे
मासूम चेहरे पे हैं हजारों तजल्लियां
आईना देख के खुद भी शरमाये होंगे
क्या बयां करे तारीफ में 'राज़' तुमसे
काफिर भी सजदे में सर झुकाये होंगे
सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंआपको
दशहरा पर शुभकामनाएँ ..
शुक्रिया बंधुवर......
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