तेरा मिलना--बिछड़ना सब याद आया
तेरा नाम लिया तो फिर रब याद आया
जिसके लिए आँखों में था रतजगा हुआ
वो तेरी ही याद थी मुझे अब याद आया
नाम तेरा बस गया हो दिल में जिनके
उन काफिरों को खुदा कब याद आया
नहीं समायी थी तेरी सूरत उसमे कहीं
आईना चटकने का वो सबब याद आया
लगा बैठे थे तुम गैर की मेहँदी पावों में
मुझसे किया वादा तुम्हे तब याद आया
"राज" ग़ज़लों में अपने जज्बे कह गए
किताब का सूखा गुलाब जब याद आया
लाजवाब ग़ज़ल है ... एक एक शेर जैसे एक एक अनमोल मोती ..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई साहब....जर्रानवाजी के लिए
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