सहर आँखों में भर लायेंगे यारों
के ख्वाबों में असर लायेंगे यारों
अभी तो हमने समझा है ग़ज़ल को
कभी हम भी बहर लायेंगे यारों
अयादत को चले आयेंगे वो तो
नजर में हम हुनर लायेंगे यारों
शहर अब अजनबी कैसे रहेगा
जो हम सबकी खबर लायेंगे यारों
शजर को यूँ नहीं तन्हा रखेंगे
रुतों से इक समर लायेंगे यारों
नहीं तूफां से घबरा कर रुके जो
वही खुद में जिगर लायेंगे यारों
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1222 1222 122....बहर
आ तो गई बहर... :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
Janduniya ji.......shukriya
जवाब देंहटाएंSameer bhai.......abhi shuruaat hai.... sath dijiyega......shukriya