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शुक्रवार, जुलाई 02, 2010

अहदे-आशिकी क्या है


उन्हें पता ही नहीं,अहदे-आशिकी क्या है 
क्या चीज दिल है भला, दिल्लगी क्या है 

तोड़कर दिल ये मेरा और हँसना उनका 
बात फिर यारों लगती अब नयी क्या है 

है पुरसुकून सहर और है शाम रौशन सी 
मिरी नजर में मगर कुछ, तीरगी क्या है 

उफक के साए से है उस आफताब तलक 
सहर-ओ-शब् के सिवा ये जिंदगी क्या है 

वो घर मिट्टी के और वो टूटे से खिलौने 
बच्चों की इस से जुदा और ख़ुशी क्या है 

बहुत वहम था मुझे, के उसे मैं भूल गया 
निगाह फिर भी मेरी माह पे लगी क्या है 

दुआ के नाम पे करी कितनी बद्दुआ मैंने 
खबर नहीं के खुदी क्या है बेखुदी क्या है

जाम रखें हैं बहुत,और हैं बाहें साकी की
पर जो मिटती ही नहीं, तशनगी क्या है 

उनकी यादों का तरन्नुम है रख्ते-सफ़र
हमसफ़र पूछेंगे अब ये मौशिकी क्या है 

बातें कुछ दर्द की हैं कुछ अश्कों की बहर 
मेरी ग़ज़लों में यही और ताजगी क्या है 

शजर के जैसे कर निबाह जिंदगी अपनी 
ना सोच "राज" मिला क्या है बदी क्या है

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...पूरी गज़ल बहुत खूबसूरत...

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  2. बहुत जज़्बातों से लिखी खूबसूरत रचना...

    जवाब देंहटाएं
  3. संगीता जी.......शुक्रिया.....[:)]वक़्त देने के लिए....

    महफूज भाई......शुक्रिया.....हौसला देने के लिए.....

    माधव जी........आभार.....यहाँ तक आने के लिए ....

    समीर भाई.......शुक्रिया.....जज्बों को समझने के लिए....

    जवाब देंहटाएं

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