मेरे दिल में हैं कितने गम दोस्तों
अब सुनाये तुम्हे क्या हम दोस्तों
यूँ तो बरसीं शहर में बरसातें बहुत
तश्नगी फिर भी हुई ना कम दोस्तों
हुए बेताब कितने वो चाँद और तारे
शाम से शब् थी कितनी नम दोस्तों
वक़्त-ए-रुखसत थमीं ना आँखें मेरी
बहुत बेबस सा था वो अलम दोस्तों
उनकी गलियां तो छूटीं पर यादें नहीं
हुए किस्मत के ये भी सितम दोस्तों
इश्क की राहों में ना मंजिल मिली
तन्हा फिरे कदम दर कदम दोस्तों
उसे टूट कर चाहा या चाह करके टूटे
उमर भर को रहा फिर भरम दोस्तों
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जवाब देंहटाएंachhe sher muvarakvad
जवाब देंहटाएंSunil bhai saab.......shukriya.... waqt dene ke liye... aabhaari hu,,,,,, khush rahiye
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