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बुधवार, जून 23, 2010

शाम तन्हा सहर तन्हा


शाम तन्हा सहर तन्हा
ख्वाबों का सफ़र तन्हा

शाखों पे पत्ते पीले पीले 
गुल तन्हा शजर तन्हा

सलामो दुआ होती नहीं 
कैसा सारा शहर तन्हा

जाऊं रखूं उम्मीद क्या 
मिलेगा जब घर तन्हा 

परिंदे अब किसे दें सदा
रिहाई ढूंढे नजर तन्हा

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