अहदे वफ़ा कुछ यूँ भी निभाते रहे
जख्म खाके भी हम मुस्कराते रहे
मौज आयी गर तो बिखर जाएगा
ये जानके भी रेत पे घर बनाते रहे
जिसकी आमद पे आँखे खुली रही
सिवाय उनके सभी लोग आते रहे
न की रकीबों से भी रकीबत हमने
बस सबसे दुआ सलाम उठाते रहे
कोई संजीदा शख्स मिला जब यूँ
उसको भी सीने से हम लगाते रहे
औ कैसे मेरी यादों के हर्फ़ मिटाए
सुना शब् भर ख़त मेरे जलाते रहे
nc very nc ......... :)
जवाब देंहटाएंthnx bro......
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