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शुक्रवार, मार्च 19, 2010

परिंदा हूँ कफस से डरता नहीं हूँ



सैयाद से मैं गिला रखता नहीं हूँ 
परिंदा हूँ कफस से डरता नहीं हूँ 

बेवफा हो जाना है फितरत तेरी 
शिकवा तुझसे मैं करता नहीं हूँ 

कुछ यादों का असीर तो हूँ मगर 
मयखाने में कभी मिलता नहीं हूँ 

आफताब हूँ हौसला ना आजमा 
शब्-ए-चराग सा जलता नहीं हूँ 

क़ज़ा का वक़्त जब है मुक्क़मल 
हर लम्हा इसलिए मरता नहीं हूँ 

बेख़ौफ़ से शजर की नस्ल है मेरी 
आंधी में तिनके सा उड़ता नहीं हूँ 

कायम रखता हूँ रुख आसमाँ सा 
मौसम सरीखा मैं बदलता नहीं हूँ

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