
तुझको अपना बना लूं डर लगता है
एक और चोट खा लूं डर लगता है
तू भी कहीं न संगदिल निकल जाए
तुझसे कैसे दिल लगा लूं डर लगता है
मेरे जख्मो को कोई देखने नहीं आता
कैसे हौसला आजमा लूं डर लगता है
तन्हाईयाँ भी अब साथ नहीं देती मेरा
इनसे क्या वादा निभा लूं डर लगता है
है पशेमां वो पर बेवफा तो है न "राज"
ऐतबार कितना उठा लूं डर लगता है.
wahhh sir ..kya baat hai..gazal badi hi achchi bani hai ..badayi kabool kare
जवाब देंहटाएंHAme bhi darr lagne laga ... gr8 one SAnju ji...
जवाब देंहटाएंDeepak bhai ..Preeti ji....shukriya
जवाब देंहटाएंhausla badhate rahe..bless u