लोकप्रिय पोस्ट

शनिवार, सितंबर 10, 2011

आँखें......


दिल के दर्द-ओ-गम का बयान हैं आँखें
कभी ज़मीं तो कभी आसमान हैं आँखें

जाने क्या क्या अफसाने लिखे हैं इनमे
कौन कहता है इबारत आसान हैं आँखें

कुर्बत के लम्हों में खिलते गुलाब के जैसी
हिज्र के मौसम में होती बियाबान हैं आँखें

जब से गया है वो मरासिम तोड़ कर सारे
उसकी याद में रहती बहुत परेशान हैं आँखें

जब तक हैं खामोश तो खामोश ही रहेंगी
जिद पे आ जाएं तो फिर तूफ़ान हैं आँखें

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

    जवाब देंहटाएं
  3. zid par aa jayein to toofan hain aankhein ........wah kya khoob abhivyakti hai.

    जवाब देंहटाएं
  4. आँखों के अंदाज़ पे खूबसूरत शेर !!

    जवाब देंहटाएं
  5. आप सभी का शुक्रिया और आभार.....

    जवाब देंहटाएं

Plz give your response....