चलो के किस्मतें कुछ यूँ आजमाई जाएँ
बारिशों के मौसमों में पतंगें उडाई जाएँ
उसकी इबादत में खुद को लगा रखो तुम
कब जाने खुदा तक, तुम्हारी दुहाई जाएँ
गिला-शिकवा ये जफा-वफ़ा क्या है यहाँ
ऐसी बातें तो मुहब्बत में ना उठाई जाएँ
कौन कहता है के वो भूल गया है मुझको
अरे हिचकियाँ देखो आई जाएँ आई जाएँ
तू मुझसे मैं तुझसे खफा हैं तो हुआ करें
तमाम शहर को रंजिशें ना दिखाई जाएँ
जब ना हो पूरी कोई "आरज़ू" तेरी "राज़"
अपनी हसरतें आईने को ही सुनाई जाएँ
तू मुझसे मैं तुझसे खफा है तो क्या करें,
जवाब देंहटाएंतमाम शहर कि रंजिशें ना दिखाई जाएँ.
बहुत खूबसूरत गज़ल. हर एक शेर मौजू.
बहुत सुन्दर गज़ल..हरेक शेर बहुत उम्दा और दिल को छू जाता है.
जवाब देंहटाएंumda...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गज़ल है।
जवाब देंहटाएंकौन कहता है के वो भूल गया है मुझको
जवाब देंहटाएंअरे हिचकियाँ देखो आई जाएँ आई जाएँ
तू मुझसे मैं तुझसे खफा हैं तो हुआ करें
तमाम शहर को रंजिशें ना दिखाई जाएँ
बहुत खूब ...खूबसूरत गज़ल