लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, अप्रैल 03, 2011

बात निकलेगी.......



मेरी इन आँखों के समंदर की बात निकलेगी 
तब किसी संगदिल पत्थर की बात निकलेगी 

जज्ब-ए-कुर्बानी का जिक्र होगा कहीं पर जब 
देखना यारों के मेरे ही सर की बात निकलेगी 

मौसम-ए-सेहरा में होगा सब आलम ये कैसा 
ना समर, ना किसी शज़र की बात निकलेगी 

मुद्दत से हैं वीरान पड़ी इस शहर की बस्तियाँ 
किन अल्फाजों में मेरे घर की बात निकलेगी 

जब भी छिड़ेगा चर्चा कहीं दोस्तों के नाम का
पीठ मेरी तो उनके खंजर की बात निकलेगी

मेरी वफायें जाविदाँ और तेरी ज़फायें कमाल 
कुछ यूँ अब दोनों के हुनर की बात निकलेगी

और ग़ज़लों में अब नया हम क्या कहें "राज़" 
दिल, धड़कन, रूह, जिगर की बात निकलेगी

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना!
    --
    टीम इण्डिया ने 28 साल बाद यह सपना साकार किया है।
    एक प्रबुद्ध पाठक के नाते आपको, समस्त भारतवासियों और भारतीय क्रिकेट टीम को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत गज़ल कही है. हर एक शेर लाजवाब.

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन । बहुत अच्छी गजल ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन गज़ल..हरेक शेर लाज़वाब..

    जवाब देंहटाएं
  5. आप सभी का शुक्रिया और आभार....
    यूँ ही हौसला देते रहें...

    जवाब देंहटाएं
  6. SANJU JI BAHUT HI ZADA PRABHAVIT KARNE VALA LEKHAN......PADHKAR VAKAI TUSHTI KA AHSAS HOTA HAI.

    जवाब देंहटाएं

Plz give your response....