बेनूर हर आलम तेरे बगैर
बेबस सा मौसम तेरे बगैर
हकीकत क्या फ़साना क्या
ना ख़ुशी ना गम तेरे बगैर
चमन में ना रंगों-बू कोई
गुल ना शबनम तेरे बगैर
अब हर शय में शक्ल तेरी
कैसा हुआ भरम तेरे बगैर
क्या ग़ज़ल क्या नज़्म कहें
ना लफ़्ज़ों में दम तेरे बगैर
रुते-हिज्र में तो रोया किये
सुबहो-शाम हम तेरे बगैर
अब तमन्ना क्या और करें
बची जिंदगी कम तेरे बगैर
बेहद खूबसूरत शब्द चयन्……………उम्दा भाव संयोजन्…
जवाब देंहटाएंumdaa... vaah.. shabd bhi khubsoorti se nibhaye gaye hai... aur bhavnaye bhi boltee hai
जवाब देंहटाएंumda rachana...........wah.....bhavpoorna
जवाब देंहटाएंसंजय भाई...बस आप का हौसला यूँ ही मिलता रहे ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंनूतन जी.... आपके जेहन तक बात उतरी .. कहना सफल रहा..आभार
अना जी.... रौनक-ए-बज़्म होने के लिए..शुक्रिया