छोटी सी कहानी लिख बैठे
मौसम की रवानी लिख बैठे
जब भी उसका जिक्र हुआ
हम ग़ज़ल सुहानी लिख बैठे
उसके चेहरे को सहर लिखा
आरिज को दोपहर लिखा
जुल्फों को काली रात लिखी
आँखें मस्तानी लिख बैठे
जब भी उसका जिक्र हुआ
हम ग़ज़ल सुहानी लिख बैठे
खिजा की रुत को फ़ज़ा लिखा
दिल का उसको खुदा लिखा
नादाँ सी वो जब याद आई
पगली दीवानी लिख बैठे
जब भी उसका जिक्र हुआ
हम ग़ज़ल सुहानी लिख बैठे
आलम का उसको नूर लिखा
कुछ पास तो कुछ-2 दूर लिखा
उसके आमद की आहट पे
धड़कन आनी जानी लिख बैठे
जब भी उसका जिक्र हुआ
हम ग़ज़ल सुहानी लिख बैठे
shukriya bhai....
जवाब देंहटाएंआपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,
जवाब देंहटाएंshukriya bhai.....aap aaye yahi bahut hai.... aabhaar
जवाब देंहटाएंKK Bhai...bahut khoobsurat rachna...behad sundar..padh kar man khush ho gaya..
जवाब देंहटाएंShukriya Bhaiyaa............aise hi dua karte rahiye...
जवाब देंहटाएंवाह वाह गजब की गजले है
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