तुम्हे छूकर गुलाब कर दूंगा
पूरा हर एक ख्वाब कर दूंगा
तुम हिज्र में शिकवे लिख लेना
मैं वस्ल में सब हिसाब कर दूंगा
तुमको शौक है ना माह होने का
अमावस में ये भी खिताब कर दूंगा
जब भी ग़ज़ल में तारे लिखूंगा
तुमको उसमे माहताब कर दूंगा
नजर कहीं न मेरी ही लग जाए
अपने आँखों को नकाब कर दूंगा
खुशगवार लम्हों को तुम पढ़ा करना
जीस्त को मुक़म्मल किताब कर दूंगा
अपने जख्मो की यूँ दास्ताँ कह देना
मैं मरहम कोई लाजवाब कर दूंगा
nice
जवाब देंहटाएंshukriya suman ji....
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