लोकप्रिय पोस्ट

सोमवार, अप्रैल 22, 2013

इस इश्क ने देखो क्या-क्या दिया मुझे



आँखों में अश्क, दिल रुसवा दिया मुझे 
इस इश्क ने देखो क्या-क्या दिया मुझे 

अब दिन रात बस उसे ही सोचते रहिये 
उस ने बिछड़ के काम आला दिल मुझे 

मैं जितना उबरता हूँ उतना ही डूबता हूँ 
कैसा उसने यादों का दरिया दिया मुझे 

किस्मत पे हर दफा ऐतबार किया था  
हर मर्तबा उम्मीद ने धोखा दिया मुझे 

गर्दिशे--वक़्त में सब अपने बिछड़ गए 
शाखों के सूखे पत्ते सा ठुकरा दिया मुझे 

अपनी ही करे है ये, ना सुने "राज" की 
कैसा खुदाया तूने दिल बहरा दिया मुझे 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को, अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post बे-शरम दरिंदें !
    latest post सजा कैसा हो ?

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ... लाजवाब गज़ल है ... बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं

Plz give your response....