मेरे जख्मो पे नमक लगाने तो आएगी
चलो वो मिलने किसी बहाने तो आएगी
मयकशी से इश्क का ये नशा कम करेंगे
ऐसे ही अपनी अक्ल ठिकाने तो आएगी
शब् भर उसकी याद में ना जागा करेंगे
बादे-सबा चलेगी सहर उठाने तो आएगी
काम सय्याद का किये जायेंगे अब हम
कोई बुलबुल यूँ कभी निशाने तो आएगी
ना रहतीं बहारें रूठी ज्यादा दिनों तलक
रुत जरुर कोई समर उगाने तो आएगी
सोचता हूँ "राज" उसके लिए भी रो लूँ
पशेमाँ होके एक रोज मनाने तो आएगी
बहुत उम्दा!!
जवाब देंहटाएंshukriya bhai saab......
जवाब देंहटाएंBhai...kamal likh rahe ho aajkal..
जवाब देंहटाएंshukriya bhai....bas sab aapki dua hai....
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