शब् के साए से निकलना चाहता है
चराग शाम से ही जलना चाहता है
ख्वाब की तासीर बहुत कम रही है
अब हकीकत में बदलना चाहता है
जब तय्य्खुल में जिक्र माजी का हो
आँख से दरिया पिघलना चाहता है
वस्ल के लम्हों से रहा था ये गिला
क्यों वक़्त जल्दी ढलना चाहता है
ऐसा नहीं के मेरी आदत नहीं रहीं
वो पर मेरे बगैर चलना चाहता है
गम से महरुमियत यूँ तो नहीं उसे
पर ''राज़'' यूँ ही बहलना चाहता है
बहुत शानदार रचना,बधाई। नया साल मुबारक
जवाब देंहटाएंविचारों से ओत-प्रोत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंनववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
umda gazal.
जवाब देंहटाएंhar sher sundar.
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
जब तय्य्खुल में जिक्र माजी का हो
जवाब देंहटाएंआँख से दरिया पिघलना चाहता है
वहाँ हर शेर लाजवाब है ......
प्रिय राज जी
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामना
आप में शेइर कहने की सलाहियत है थोड़ा और प्रयास करें !
यह आदत है पुरानी हमको ,मुंह पे बात कहने की
सभी हैं जान के दुष्मन ,मसिहा भी करेगा क्या
मसिहा के लिए क्षमा चाहूंगा(मसीहा)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सभी का....
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