बज्म में उसका वो आना अच्छा लगता है
अब बेवजह भी मुस्कराना अच्छा लगता है
रात ख्वाबों में वो आकर क्या मिला
सुबह से फिर दूर जाना अच्छा लगता है
यूँ होके तन्हा जब हम कहीं बैठे रहें
याद में उसको बुलाना अच्छा लगता है
"देख लेना कल नहीं मैं अब आउंगी "
जाते-२ ये भी ताना अच्छा लगता है
इक जरा सी बात पे गर रूठ जाऊं मैं कभी
प्यार से उसका मनाना अच्छा लगता है
आईने में मुझको बस वो ही नजर आया करे
आँखों को ये लम्हा सुहाना अच्छा लगता है
अब सिवा उसके ना चाहत और कोई
उसकी कुर्बत का जमाना अच्छा लगता है
bhut khoob fermaya hai ji ak ak shere lajawab hai ji
जवाब देंहटाएंshukriya ji...........hausla afzai ke liye.. duao ke saath..khush rahiye
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