कभी गम की तलाश में
कभी ख़ुशी की तलाश में
कट रही है ये जिन्दगी
जिन्दगी की तलाश में
मैंने पूछा, के "ऐ हवा
तू भटकती है यूँ क्यूँ .."
जवाब आया के "रहती हूँ
मैं किसी की तलाश में "
ना बहर सीखी कभी ना
वज़न नापा लफ़्ज़ों का
बस सफहे ही रंगे हमने
शायरी की तलाश में
हमने तो इश्क में उसको
खुदा का दर्जा है दे दिया
आप सर मारिये पत्थर पे
हाँ, बंदगी की तलाश में