अपने दिल में कुछ दर्द संभाले रखे हैं
घर में अश्कों से हमने उजाले रखे हैं
तंग आ गए हैं अब वफाओं से उनकी
इसलिए आस्तीनों में सांप पाले रखे हैं
कोई मेरे दर से कभी भूखा ना जाए
तभी बर्तन में दो चार निवाले रखे हैं
जख्मों का अहसास उम्र भर रहे हमको
इलाजों से महरूम पावों के छाले रखे हैं
यूँ तो मयकशी की बहुत आदत रही है
दोस्त लेकिन कुछ होश वाले रखे हैं