आंसुओं में ही इक हंसी मिल जाए
काश मुझे ऐसी ही खुशी मिल जाए
एक मुद्दत से तरसी हैं आँखें बहुत
बस इक जरा सी रौशनी मिल जाए
मैं पागलों की तरह फिरता हूँ यहाँ
शायद सुकूँ की जिंदगी मिल जाए
कहती है वो अदू को बेहतर मुझसे
आईने देखूं,शायद कमी मिल जाए
कयामत तलक गुनाह कौन झेले
के जो भी है सज़ा यहीं मिल जाए
काफ़िर की दुआ पहुंचे खुदा के दर
मानो आसमाँ से जमी मिल जाए
अपने नसीब पे ''राज़'' भी करें फक्र
पूरी जो वो 'आरज़ू' कभी मिल जाए