लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, मई 03, 2009

मेरे दिल की जिद .....




वो मुझसे जख्म खाने की जिद करता है 
फिर भी हर हाल मुस्कराने की जिद करता है 

लेता है कुछ यूँ मेरे हौसलों का इम्तेहान 
के हर चोट पे नमक लगाने की जिद करता है 

ख्वाहिश खिजाओ से रखता है कुछ यूँ 
तनहा शजर पे गुल खिलाने की जिद करता है 

जब के जानता है वो संग है न पिघलेगा 
फिर भी इक बार और आजमाने की जिद करता है 

गर कभी ख्वाब में वो आ जाए भूल से 
नींद को आँख से न जाने की जिद करता है 

संभल के चलते हैं जब मयकदों से भी 
न जाने क्यूँ "राज" लड़खडाने की जिद करता है