लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, जून 19, 2011

इश्क में यूँ हर शख्स पागल नहीं होता



अहसास तेरा मुझको जिस पल नहीं होता 
साँसों का सिलसिला मुक़म्मल नहीं होता 

बस तेरी सूरत ही रक्स करती हैं आँखों में 
दूसरा चेहरा तो इनमे आजकल नहीं होता 

उसे आसान लगा है मुझको भूल जाना पर  
वो है के मेरी सोच से भी ओझल नहीं होता 

आजार-इश्क की यूँ कोई दवा नहीं मिलती 
चारागारों से भी तो मसला हल नहीं होता 

जब आँखों से बे-सबब अब्र का कारवां चले 
रोकने का फिर उसे कोई आँचल नहीं होता 

"राज़" खामोश हैं, तो क्या है अजीब इसमें 
अरे इश्क में यूँ हर शख्स पागल नहीं होता