किसी के लिए इतना तो कर जाएँ
दामन में दुआओं का रंग भर जाएँ
जब वक़्त के सफ़र में शाम हो कहीं
चलो यारों यहीं पे हम भी ठहर जाएँ
माकूल अपने हर ज़वाब तुम रखना
सवाल करने वाले कहीं ना डर जाएँ
शोहरत इस ज़माने में गुल सी हो यूँ
के बनके इक खुशबू बस बिखर जाएँ
दुआ दो सेहरा में के मौसमे गुल हो
जहाँ तक हो नजर मंजर सवंर जाएँ
मेरी गजलों में अब कुछ नहीं बाकी
चलो तुम भी जाओ हम भी घर जाएँ
waah waah kya baat kahi hai aapne itne saral shabdo me aapne to sab kuch kah dala kk ji.
जवाब देंहटाएंshukriya sahab..........
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